हमेशा भिगोकर खाएं ये 5 चीजें, पोषक तत्वों का मिलेगा भरपूर फायदा, पेट भी रहेगा खुश

हमारी दादी-नानी और माँ हमेशा से हमें बादाम, राजमा, या चने जैसी चीजों को खाने से पहले रात भर भिगोने की सलाह देती आई हैं। हममें से ज्यादातर लोग इसे एक परंपरा मानकर इसका पालन भी करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस साधारण सी आदत के पीछे इतना जोर क्यों दिया जाता है? क्या यह सिर्फ उन्हें नरम करने का एक तरीका है, या इसके पीछे कोई गहरा वैज्ञानिक कारण भी छिपा है?
इस लेख के लिए अपने शोध में, मैंने पाया कि यह सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि भोजन से अधिकतम पोषण “अनलॉक” करने की एक शक्तिशाली वैज्ञानिक तकनीक है। यह सरल आदत आपके पाचन को सुधार सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि आपके शरीर को भोजन का पूरा फायदा मिले। आइए, हम गहराई से जानें कि किन चीजों को भिगो कर खाना चाहिए क्या हैं, इसके पीछे का विज्ञान क्या है, और किन-किन चीजों को भिगोना आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
भोजन में छिपे ‘दुश्मन’: क्या होते हैं एंटी-न्यूट्रिएंट्स?
यह समझना महत्वपूर्ण है कि कई पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों, जैसे नट्स, बीज, अनाज और दालों में, प्राकृतिक रूप से कुछ यौगिक होते हैं जिन्हें ‘एंटी-न्यूट्रिएंट्स’ (Anti-nutrients) कहा जाता है। ये पौधे के लिए एक रक्षा कवच की तरह काम करते हैं, लेकिन हमारे शरीर में ये पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डाल सकते हैं।
इनमें दो मुख्य एंटी-न्यूट्रिएंट्स हैं:
1. फाइटिक एसिड (Phytic Acid): पोषक तत्वों का ‘चोर’
फाइटिक एसिड क्या है? यह एक ऐसा यौगिक है जो पौधे के बीजों में फास्फोरस को स्टोर करने का काम करता है। लेकिन जब हम इसे खाते हैं, तो यह हमारी आंतों में आयरन, जिंक, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के साथ बंध जाता है। यह बंधन इन खनिजों को हमारे शरीर में अवशोषित होने से रोकता है और वे बिना उपयोग हुए ही शरीर से बाहर निकल जाते हैं। यही कारण है कि इसे कभी-कभी ‘पोषक तत्वों का चोर’ भी कहा जाता है।

2. एंजाइम इन्हिबिटर्स (Enzyme Inhibitors): पाचन में बाधा
नट्स, सीड्स और दालों में एंजाइम इन्हिबिटर्स भी होते हैं। ये यौगिक हमारे शरीर में भोजन पचाने वाले एंजाइम (जैसे ट्रिप्सिन और एमाइलेज) के काम में बाधा डालते हैं। इसके कारण प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को पचाना मुश्किल हो जाता है, जिससे कुछ लोगों को गैस, ब्लोटिंग और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

भिगोने का जादू: यह प्रक्रिया क्यों है इतनी ज़रूरी?
भिगोने की सरल प्रक्रिया इन एंटी-न्यूट्रिएंट्स को बेअसर करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
- पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण: जब आप नट्स या दालों को पानी में भिगोते हैं, तो यह फाइटेज (phytase) नामक एक एंजाइम को सक्रिय करता है, जो फाइटिक एसिड को तोड़ने में मदद करता है। इससे आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे खनिज आपके शरीर के लिए अधिक उपलब्ध हो जाते हैं। पोषक तत्वों का अवशोषण कैसे बढ़ाएं, इसका यह सबसे सरल उत्तर है।
- आसान पाचन, गैस से राहत: भिगोने से एंजाइम इन्हिबिटर्स निष्क्रिय हो जाते हैं। इससे आपके पाचन तंत्र पर बोझ कम पड़ता है और भोजन आसानी से पचता है, जिससे गैस और ब्लोटिंग की समस्या में कमी आती है।
- बनावट में सुधार और पकाने में आसानी: भिगोने से राजमा, छोले और अन्य दालें नरम हो जाती हैं, जिससे उन्हें पकाने में कम समय और कम ऊर्जा लगती है।
- टैनिन को कम करना: भिगोने से कुछ खाद्य पदार्थों में मौजूद टैनिन (tannins) भी कम हो जाते हैं, जिससे उनका कड़वा स्वाद कम हो सकता है।

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किन चीजों को भिगोएं और कितनी देर?
एक आम सवाल जो पाठक अक्सर पूछते हैं, वह है कि किस चीज को कितनी देर भिगोना चाहिए। यहाँ एक सामान्य गाइड है:
खाद्य पदार्थ (Food Item) | भिगोने का अनुमानित समय (Approx. Soaking Time) |
---|---|
बादाम (Almonds) | 8 – 12 घंटे |
अखरोट (Walnuts) | 4 – 6 घंटे |
काजू (Cashews) | 2 – 3 घंटे (इससे ज्यादा नहीं) |
चना, राजमा, छोले (Chickpeas, Kidney Beans) | 8 – 12 घंटे या रात भर |
मूंग, मसूर जैसी छोटी दालें (Small Lentils) | 4 – 6 घंटे |
कद्दू, सूरजमुखी के बीज (Pumpkin, Sunflower Seeds) | 6 – 8 घंटे |
चिया, अलसी के बीज (Chia, Flax Seeds) | 15 – 30 मिनट (ये जेल बनाते हैं) |
ब्राउन राइस, बाजरा (Brown Rice, Millets) | 6 – 8 घंटे |
महत्वपूर्ण नोट: भिगोने के बाद, उस पानी को हमेशा फेंक दें क्योंकि उसमें घुले हुए एंटी-न्यूट्रिएंट्स होते हैं। भोजन को पकाने या खाने से पहले एक बार साफ पानी से फिर से धो लें।
क्या सभी चीजों को भिगोना चाहिए?
नहीं। यह समझना भी ज़रूरी है कि क्या नहीं भिगोना चाहिए।
- हरी सब्जियां (Hari Sabji): सब्जियों को भिगोने की आवश्यकता नहीं होती। उन्हें ताजा धोकर ही इस्तेमाल करना सबसे अच्छा है।

- रोल्ड ओट्स (Rolled Oats): ये पहले से ही प्रोसेस्ड होते हैं, इसलिए इन्हें भिगोने की ज़रूरत नहीं होती। हालांकि, स्टील-कट ओट्स को पकाने का समय कम करने के लिए भिगोया जा सकता है।

- भुने हुए मेवे (Roasted Nuts): भूनने की प्रक्रिया पहले ही कुछ एंटी-न्यूट्रिएंट्स को कम कर देती है। इन्हें भिगोने से ये नरम और गीले हो जाएंगे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
अगर मैं राजमा या छोले रात भर भिगोना भूल जाऊं तो क्या करें?
आप क्विक-सोक विधि का उपयोग कर सकते हैं। राजमा/छोले को पानी में डालकर 2-3 मिनट तक उबालें, फिर गैस बंद करके एक घंटे के लिए ढंककर छोड़ दें। यह रात भर भिगोने जैसा ही प्रभाव देगा।
क्या सफेद चावल को भी भिगोना ज़रूरी है?
सफेद चावल पॉलिश किया हुआ होता है, जिससे उसका चोकर (bran) और अधिकांश फाइटिक एसिड निकल जाता है। पोषण की दृष्टि से इसे भिगोना अनिवार्य नहीं है, हालांकि कई लोग बेहतर बनावट और पकाने में आसानी के लिए इसे 20-30 मिनट भिगोते हैं।
क्या भिगोए हुए बादाम का छिलका उतारना ज़रूरी है?
भीगे हुए बादाम के फायदे छिलके के साथ और बिना, दोनों तरह से मिलते हैं। बादाम के छिलके में टैनिन होता है, जो कुछ पोषक तत्वों के अवशोषण को थोड़ा रोक सकता है। छिलका उतारने से पाचन और भी आसान हो सकता है, लेकिन यह व्यक्तिगत पसंद का मामला है।
निष्कर्ष
नट्स और सीड्स भिगोकर खाने के फायदे सिर्फ एक पारंपरिक मान्यता नहीं, बल्कि एक ठोस वैज्ञानिक तथ्य है। यह सरल आदत भोजन में मौजूद एंटी-न्यूट्रिएंट्स को बेअसर करके पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाती है और पाचन में सुधार करती है।
यह हमारी रसोई में छिपा एक ऐसा ‘सीक्रेट’ है जो बिना किसी अतिरिक्त खर्च के हमारे भोजन को और भी स्वास्थ्यवर्धक बना सकता है। तो अगली बार जब आप बादाम, दाल या कोई साबुत अनाज खाएं, तो उन्हें कुछ घंटों के लिए पानी में भिगोना न भूलें। यह छोटा सा कदम आपके और आपके परिवार के बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ा योगदान हो सकता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना और पोषण संबंधी जागरूकता के उद्देश्यों के लिए है। यह पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी चिंता या डाइट में बड़ा बदलाव करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या किसी योग्य डायटीशियन से सलाह लें।