A2 घी आम घी से क्यों है 3 गुना महंगा? जानें A1-A2 का विज्ञान और इसके स्वास्थ्य लाभ

पिछले कुछ सालों में, स्वास्थ्य और वेलनेस की दुनिया में “A2 घी” शब्द ने एक खास जगह बना ली है। सुपरमार्केट की शेल्फ से लेकर ऑनलाइन स्टोर्स तक, यह घी आम घी की तुलना में दो से तीन गुना अधिक कीमत पर बेचा जा रहा है। इसे स्वास्थ्य के लिए एक बेहतर और अधिक सुपाच्य विकल्प के रूप में प्रचारित किया जाता है। लेकिन एक आम उपभोक्ता के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है – आखिर इस घी में ऐसा क्या खास है? क्या यह सच में अपनी ऊंची कीमत को सही ठहराता है?
इस लेख के लिए अपने शोध में, मैंने पाया कि A2 घी की कहानी दूध में मौजूद एक खास तरह के प्रोटीन से जुड़ी है। आइए, एक स्वास्थ्य पत्रकार के दृष्टिकोण से इस विषय की गहराई से पड़ताल करें और जानें कि A2 घी के फायदे (A2 ghee ke fayde) क्या हैं, A1 और A2 दूध में अंतर क्या है, और क्या आपको भी अपनी रसोई में आम घी को इससे बदलना चाहिए।
A1 और A2 दूध के बीच के अंतर
A2 घी को समझने के लिए, हमें पहले A1 और A2 दूध के बीच के अंतर को समझना होगा। दूध में मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रोटीन होते हैं – व्हेय (Whey) और केसीन (Casein)। केसीन दूध का लगभग 80% प्रोटीन हिस्सा बनाता है, और केसीन के भी कई प्रकार होते हैं, जिनमें से एक है बीटा-केसीन (Beta-casein)।
बीटा-केसीन प्रोटीन अमीनो एसिड की एक लंबी श्रृंखला है। इस श्रृंखला में 67वें स्थान पर एक अमीनो एसिड के अंतर के कारण ही दूध A1 या A2 प्रकार का होता है:
- A1 बीटा-केसीन: यह प्रोटीन मुख्य रूप से विदेशी नस्ल की गायों जैसे होल्स्टीन फ्रीजियन (HF), जर्सी आदि के दूध में पाया जाता है। इसकी श्रृंखला में 67वें स्थान पर ‘हिस्टडीन’ (Histidine) नामक अमीनो एसिड होता है।
- A2 बीटा-केसीन: यह प्रोटीन मुख्य रूप से भारतीय देसी नस्ल की गायों (जैसे गिर, साहीवाल) और भैंस, बकरी, भेड़ और मनुष्यों के दूध में पाया जाता है। इसकी श्रृंखला में 67वें स्थान पर ‘प्रोलीन’ (Proline) नामक अमीनो एसिड होता है।
समस्या कहाँ है? स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, जब हम A1 प्रोटीन वाला दूध पीते हैं, तो पाचन के दौरान ‘हिस्टडीन’ के कारण BCM-7 (बीटा-कैसोमोर्फिन-7) नामक एक पेप्टाइड रिलीज हो सकता है।

BCM-7 पेप्टाइड: विवाद और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं
BCM-7 एक ओपिओइड (opioid) पेप्टाइड है। कुछ शुरुआती शोध और अध्ययनों ने BCM-7 को शरीर में सूजन, पाचन संबंधी परेशानी (जैसे ब्लोटिंग, गैस), और टाइप-1 डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर स्थितियों से जोड़ा है। हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है, जैसा कि प्रमुख अध्ययनों से पता चलता है, कि इन दावों पर अभी भी वैज्ञानिक समुदाय में बहस जारी है और कई बड़े स्वास्थ्य संगठन A1 दूध को आम जनता के लिए हानिकारक नहीं मानते हैं।
इसके विपरीत, A2 दूध में मौजूद ‘प्रोलीन’ अमीनो एसिड BCM-7 को बनने से रोकता है, जिससे यह पाचन के लिए अधिक अनुकूल माना जाता है।

A2 घी के 4 प्रमुख स्वास्थ्य लाभ (A2 ghee benefits)
A2 दूध के इन्हीं गुणों के आधार पर A2 घी के निम्नलिखित फायदे बताए जाते हैं:
- पाचन में आसान: यह A2 घी का सबसे बड़ा दावा है। चूंकि इसमें BCM-7 नहीं बनता, यह उन लोगों के लिए बेहतर हो सकता है जिन्हें सामान्य डेयरी उत्पादों से सूजन या अपच महसूस होती है।
- सूजन को कम कर सकता है: BCM-7 को एक सूजन बढ़ाने वाला एजेंट माना जाता है। A2 घी में इसकी अनुपस्थिति के कारण, यह शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
- पोषक तत्वों से भरपूर: अच्छे देसी गाय का घी विटामिन A, D, E, K, ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड जैसे पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है।
- हृदय स्वास्थ्य के लिए बेहतर: कुछ दावों के अनुसार, घास खाने वाली देसी गायों के A2 घी में CLA (कॉन्जुगेटेड लिनोलिक एसिड) की मात्रा अधिक हो सकती है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक सबूत?
एक आम सवाल जो पाठक अक्सर पूछते हैं, “क्या ये दावे वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हैं?”
- पाचन पर प्रभाव: A2 दूध पर हुए कुछ मानव अध्ययनों ने यह दिखाया है कि यह सामान्य A1 दूध की तुलना में पाचन संबंधी परेशानी को कम कर सकता है।
- घी पर प्रभाव: यहाँ मामला थोड़ा जटिल हो जाता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि घी बनाने की प्रक्रिया में, दूध से लगभग सारा प्रोटीन (केसीन) और लैक्टोज हटा दिया जाता है, और बचता है सिर्फ शुद्ध फैट। इसलिए, A1 और A2 प्रोटीन का अंतर घी के लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं रह जाता जितना कि दूध के लिए है, क्योंकि घी में प्रोटीन की मात्रा न के बराबर होती है।
तो, A2 घी की असली खासियत सिर्फ उसके प्रोटीन में नहीं, बल्कि अन्य कारकों में भी हो सकती है।

विशेषज्ञ की राय
A1/A2 बहस वैज्ञानिक रूप से दिलचस्प है, खासकर दूध के लिए। हालांकि, घी के लिए, जहां अधिकांश प्रोटीन हटा दिया जाता है, इसके फायदे दूध के स्रोत की समग्र गुणवत्ता – जैसे कि घास खाने वाली देसी गायों से – और पारंपरिक बिलोना तैयारी विधि से अधिक होने की संभावना है, न कि केवल केसीन के प्रकार से।” – डॉ. प्रिया मेहरा, न्यूट्रिशन साइंटिस्ट,
सिर्फ प्रोटीन ही नहीं, A2 घी बनाने की विधि भी है खास
अक्सर प्रीमियम A2 घी को पारंपरिक बिलोना विधि (Bilona Method) से बनाया जाता है।
- बिलोना विधि क्या है? इस प्रक्रिया में पहले दूध को जमाकर दही बनाया जाता है। फिर उस दही को लकड़ी की मथनी (बिलोना) से मथकर मक्खन निकाला जाता है। अंत में, इस मक्खन को धीमी आंच पर गर्म करके घी बनाया जाता है।
- क्यों है बेहतर? माना जाता है कि यह धीमी और पारंपरिक प्रक्रिया घी के पोषक तत्वों को संरक्षित रखती है और इसे एक बेहतर सुगंध और बनावट देती है। इसके विपरीत, व्यावसायिक रूप से बनाया गया घी अक्सर सीधे दूध की मलाई से तेज प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या A2 घी लैक्टोज असहिष्णु लोगों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है?
घी बनाने की प्रक्रिया में लगभग सारा लैक्टोज निकल जाता है। इसलिए, A1 और A2 दोनों ही प्रकार के घी आमतौर पर लैक्टोज असहिष्णु लोगों के लिए सुरक्षित होते हैं।
क्या A2 घी में आम घी से कम फैट होता है?
नहीं। फैट की मात्रा और प्रकार (मुख्य रूप से सैचुरेटेड फैट) दोनों में लगभग समान होते हैं। अंतर केवल प्रोटीन के ट्रेस अमाउंट में होता है।
तो, क्या A2 घी की ऊंची कीमत उचित है?
यह निर्भर करता है। यदि यह बिलोना विधि से और घास खाने वाली देसी गायों के दूध से बना है, तो ऊंची कीमत एक अधिक श्रमसाध्य प्रक्रिया और संभावित रूप से बेहतर पोषक प्रोफ़ाइल को दर्शाती है। लेकिन अगर आप आम घी को अच्छी तरह से पचा लेते हैं, तो सिर्फ “A2” लेबल के लिए अतिरिक्त खर्च करना आपके लिए आवश्यक नहीं हो सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
A2 घी आम घी से क्यों है बेहतर, इस सवाल का जवाब सीधा नहीं है। मुख्य अंतर स्रोत दूध में मौजूद A1 और A2 बीटा-केसीन प्रोटीन में निहित है, जिसमें A2 कुछ लोगों के लिए पाचन में आसान हो सकता है।
हालांकि, जब बात घी की आती है, तो यह अंतर बहुत कम हो जाता है। एक प्रीमियम A2 घी का वास्तविक मूल्य अक्सर उसकी पारंपरिक बिलोना निर्माण प्रक्रिया और घास खाने वाली देसी गाय के दूध के उपयोग से आता है।
अंतिम निर्णय आपका व्यक्तिगत है। यदि आपका बजट अनुमति देता है और आप पारंपरिक प्रक्रिया को महत्व देते हैं, तो A2 बिलोना घी एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। हालांकि, अधिकांश लोगों के लिए, कोई भी शुद्ध घी, जब संयम में सेवन किया जाता है, तो एक स्वस्थ वसा होता है।