Vitamin D के लिए धूप में कितनी देर बैठें? डॉक्टर से जानें सही समय और तरीका

यह एक अजीब विडंबना है कि भारत जैसे देश में, जहाँ साल के ज्यादातर समय तेज धूप खिलती है, वहां की एक बड़ी आबादी विटामिन डी (Vitamin D) की कमी से जूझ रही है। हड्डियों की कमजोरी, लगातार थकान, बालों का झड़ना और डिप्रेशन जैसी कई समस्याओं की जड़ अक्सर इस ‘सनशाइन विटामिन’ की कमी ही होती है। हम सब जानते हैं कि सूरज की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्रोत है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर धूप में कितनी देर बैठना चाहिए?

बहुत ज्यादा देर धूप में बैठने से त्वचा के कैंसर का खतरा होता है, और बहुत कम देर बैठने से शरीर को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पाता। इस लेख के लिए अपने शोध में, मैंने पाया कि सही फायदा लेने के लिए सिर्फ धूप में बैठना ही काफी नहीं है, बल्कि दिन का कौन सा समय सही है, शरीर का कितना हिस्सा खुला होना चाहिए और आपकी त्वचा की रंगत क्या है, यह सब भी बहुत मायने रखता है। आइए, एक स्वास्थ्य पत्रकार के दृष्टिकोण से इस विषय की गहराई में उतरें और जानें कि सूरज की रोशनी से विटामिन डी लेने का वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीका क्या है।

विटामिन डी: ‘सनशाइन विटामिन’ इतना जरूरी क्यों है?

इससे पहले कि हम धूप सेंकने के तरीके पर बात करें, यह जानना जरूरी है कि हमें विटामिन डी की आवश्यकता क्यों है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह सिर्फ एक विटामिन नहीं, बल्कि एक हार्मोन है जो शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करता है।

अगर आपको लगातार थकान, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बालों का झड़ना या बार-बार बीमार पड़ने जैसे विटामिन डी की कमी के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए।

सूरज की रोशनी से कैसे बनता है विटामिन डी?

यह प्रक्रिया किसी जादू से कम नहीं है। जब सूरज की अल्ट्रावॉयलेट बी (UVB) किरणें हमारी त्वचा पर पड़ती हैं, तो त्वचा में मौजूद एक प्रकार का कोलेस्ट्रॉल (7-डिहाइड्रोकोलेस्ट्रॉल) प्री-विटामिन डी3 में बदल जाता है। इसके बाद, हमारा लिवर और किडनी इस प्री-विटामिन डी3 को सक्रिय विटामिन डी में बदलते हैं, जिसका उपयोग शरीर कर सकता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि कांच की खिड़की के अंदर बैठकर धूप लेने से यह प्रक्रिया नहीं होती, क्योंकि कांच UVB किरणों को ब्लॉक कर देता है।

विटामिन डी के लिए धूप में कितनी देर बैठना चाहिए?

एक आम सवाल जो पाठक अक्सर पूछते हैं, वह यही है। इसका कोई एक निश्चित जवाब नहीं है क्योंकि यह कई कारकों पर निर्भर करता है।

1. त्वचा की रंगत

आपकी त्वचा का रंग जितना गहरा होता है, उसमें ‘मेलेनिन’ (Melanin) नामक पिगमेंट उतना ही अधिक होता है। मेलेनिन एक प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह काम करता है और UVB किरणों को रोकता है। इसलिए, गोरी त्वचा वाले लोगों की तुलना में गहरी त्वचा वाले लोगों को पर्याप्त विटामिन डी बनाने के लिए अधिक समय तक धूप में रहने की आवश्यकता होती है।

2. दिन का समय

यह सबसे महत्वपूर्ण कारक है। विटामिन डी बनाने वाली UVB किरणें तब सबसे तेज होती हैं जब सूरज आसमान में सबसे ऊपर होता है। भारत में, यह समय आमतौर पर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच होता है। हालांकि कई लोग सुबह की हल्की धूप को बेहतर मानते हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विटामिन डी के उत्पादन के लिए दोपहर की धूप सबसे प्रभावी होती है।

3. शरीर का कितना हिस्सा खुला है

आप जितने ज्यादा कपड़े पहने होंगे, विटामिन डी उतना ही कम बनेगा। सिर्फ चेहरे और हाथों पर धूप लेने से पर्याप्त विटामिन डी नहीं बन पाता। प्रभावी उत्पादन के लिए, आपके शरीर का कम से कम 15-20% हिस्सा, जैसे कि बांहें, पैर या पीठ, का खुला होना जरूरी है।

4. उम्र और मौसम

उम्र बढ़ने के साथ त्वचा की विटामिन डी बनाने की क्षमता कम हो जाती है। इसी तरह, सर्दियों में या मानसून के दौरान जब धूप कम होती है, तो विटामिन डी का उत्पादन भी कम हो जाता है।

एक सामान्य भारतीय के लिए गाइडलाइन: इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, अधिकांश स्वास्थ्य विशेषज्ञ भारतीय लोगों को सप्ताह में 3 से 4 बार, सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच, 20 से 30 मिनट के लिए धूप लेने की सलाह देते हैं। इस दौरान बांहों और पैरों को खुला रखना फायदेमंद होता है। यदि आपकी त्वचा की रंगत गहरी है, तो आपको 40-45 मिनट तक की आवश्यकता हो सकती है।

विशेषज्ञ की राय

"भारत में विटामिन डी की कमी एक मूक महामारी है। इसका सबसे सरल समाधान सूर्य के प्रकाश का सही उपयोग है। मेरा सुझाव है कि लोग सप्ताह में कम से कम 3-4 दिन, दोपहर के समय लगभग 20-30 मिनट के लिए धूप में बैठें, जिसमें उनके हाथ और पैर खुले हों। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि त्वचा को जलाना नहीं है। उद्देश्य केवल हल्की गुलाबी होने तक धूप लेना है। यदि कमी गंभीर है, तो केवल धूप पर निर्भर न रहें और डॉक्टर से सलाह लेकर सप्लीमेंट्स शुरू करें।" - डॉ. राजीव वर्मा, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, मेदांता हॉस्पिटल]

धूप लेने का सबसे सही तरीका और सावधानियां

विटामिन डी के फायदे पाने के लिए धूप सही तरीके से लेना जरूरी है, ताकि त्वचा को नुकसान न हो।

संतुलन ही कुंजी है

सूरज की रोशनी से विटामिन डी प्राप्त करना सबसे प्राकृतिक, प्रभावी और मुफ्त तरीका है। लेकिन इसका फायदा उठाने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है। धूप में कितनी देर बैठना चाहिए, इसका जवाब आपकी त्वचा की रंगत, दिन के समय और आपके कपड़ों पर निर्भर करता है। एक सामान्य नियम के तौर पर, सप्ताह में 3-4 बार, दोपहर के समय, 20-30 मिनट के लिए कम कपड़ों में धूप लेना अधिकांश भारतीयों के लिए पर्याप्त हो सकता है।

याद रखें, सूरज की रोशनी से दोस्ती करें, लेकिन उसकी ताकत का सम्मान भी करें। अपनी त्वचा को कभी जलने न दें। यदि आपको विटामिन डी की कमी के गंभीर लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो खुद से इलाज करने के बजाय डॉक्टर से मिलें, अपना टेस्ट कराएं और उनकी सलाह के अनुसार सप्लीमेंट्स या जीवनशैली में बदलाव करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न/उत्तर

क्या सुबह 8 बजे की धूप विटामिन डी के लिए काफी है?

सुबह की धूप सुकून देने वाली होती है और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी है, लेकिन विटामिन डी के उत्पादन के लिए यह बहुत प्रभावी नहीं है क्योंकि उस समय UVB किरणें बहुत कमजोर होती हैं। विटामिन डी के लिए सबसे अच्छा समय सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच का है।

मैं भोजन से पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त कर सकता हूँ?

बहुत मुश्किल। बहुत कम खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से विटामिन डी होता है, जैसे कि फैटी फिश (सैल्मन, ट्यूना), अंडे की जर्दी और मशरूम। फोर्टिफाइड दूध और अनाज जैसे उत्पादों से कुछ मात्रा मिल सकती है, लेकिन केवल भोजन पर निर्भर रहकर कमी को पूरा करना लगभग असंभव है।

अगर मैं रोज सनस्क्रीन लगाता हूं, तो क्या मुझे विटामिन डी की कमी हो जाएगी?

संभव है। 30 SPF या उससे अधिक का सनस्क्रीन UVB किरणों को 95% से अधिक ब्लॉक कर सकता है, जिससे विटामिन डी का उत्पादन लगभग रुक जाता है। इसीलिए त्वचा विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि या तो आप सप्लीमेंट लें या दिन में कुछ मिनट बिना सनस्क्रीन के धूप में बैठें और फिर सनस्क्रीन लगाएं।

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