घर में लगे RO का पानी पीने से पहले TDS जांच लें, बहुत कम होना भी है सेहत के लिए खतरनाक!

peene ke pani me TDS kese check kare

आजकल भारत के ज्यादातर शहरी घरों की रसोई में RO (रिवर्स ऑस्मोसिस) वॉटर प्यूरीफायर एक अनिवार्य उपकरण बन गया है। हम यह मानकर चलते हैं कि RO से निकला पानी मतलब 100% शुद्ध और सुरक्षित पानी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका RO पानी को ‘बहुत ज्यादा’ साफ करके उसे सेहत के लिए फायदेमंद की जगह नुकसानदायक बना सकता है? इसका जवाब छिपा है तीन अक्षरों में – TDS.

अक्सर हम RO लगवाते समय या उसकी सर्विस कराते समय TDS लेवल की अनदेखी कर देते हैं। इस लेख के लिए अपने शोध में, मैंने पाया कि यह अनदेखी आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है। इस लेख में हम गहराई से जानेंगे कि TDS क्या होता है, पीने के पानी का TDS कितना होना चाहिए, बहुत कम TDS वाला पानी पीने के क्या नुकसान हैं, और आप कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके घर में आने वाला पानी शुद्ध होने के साथ-साथ सेहतमंद भी हो।

TDS क्या होता है और इसे जानना क्यों जरूरी है?

सबसे पहले, आइए इस तकनीकी शब्द को सरल भाषा में समझते हैं। TDS का फुल फॉर्म है – टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड्स (Total Dissolved Solids)। इसका अर्थ है पानी में घुले हुए कुल ठोस पदार्थों की मात्रा। इन घुले हुए पदार्थों में मुख्य रूप से अकार्बनिक लवण (inorganic salts) और कुछ मात्रा में जैविक पदार्थ शामिल होते हैं।

सरल शब्दों में, यह पानी में घुले हुए नमक और खनिजों (जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम) की कुल मात्रा का एक माप है। इसे PPM (पार्ट्स पर मिलियन) या mg/L (मिलीग्राम प्रति लीटर) में मापा जाता है।

इसे जानना क्यों जरूरी है? क्योंकि TDS हमें पानी की गुणवत्ता का एक मोटा-मोटा अंदाजा देता है। पानी में कुछ खनिज हमारे शरीर के लिए आवश्यक होते हैं, जबकि कुछ हानिकारक पदार्थ (जैसे आर्सेनिक, लेड, फ्लोराइड) और अतिरिक्त लवण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

हाई TDS का खतरा (जिसके लिए हम RO लगाते हैं)

भारत के कई हिस्सों में भूजल का TDS लेवल बहुत अधिक होता है। हाई TDS वाले पानी का स्वाद खारा या कड़वा होता है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसमें हानिकारक लवणों और भारी धातुओं की उपस्थिति हो सकती है, जो लंबे समय में किडनी की समस्याओं और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकती है। इसी हाई TDS को कम करने के लिए RO प्यूरीफायर का इस्तेमाल किया जाता है।

बहुत कम TDS का खतरा: RO पानी का अनकहा सच

यह इस लेख का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। RO तकनीक पानी को साफ करने के लिए एक झिल्ली (membrane) का उपयोग करती है जो पानी में से 90-95% तक TDS को हटा देती है। इस प्रक्रिया में, यह हानिकारक पदार्थों के साथ-साथ हमारे शरीर के लिए आवश्यक खनिजों (Essential Minerals) जैसे कैल्शियम और मैग्नीशियम को भी हटा देती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट्स और कई अध्ययनों में बहुत कम TDS (demineralised water) वाले पानी को लंबे समय तक पीने के संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में बताया गया है:


विशेषज्ञ की राय

“RO तकनीक उन क्षेत्रों के लिए एक वरदान है जहां पानी का TDS बहुत अधिक है। लेकिन, इसका अंधाधुंध उपयोग, खासकर उन जगहों पर जहां TDS पहले से ही कम है, पानी से जरूरी मिनरल्स को खत्म कर देता है। उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके RO में TDS कंट्रोलर लगा हो ताकि शुद्ध पानी में आवश्यक खनिजों का एक स्वस्थ स्तर बना रहे।” – डॉ. अविनाश शर्मा, जल गुणवत्ता विशेषज्ञ

तो फिर पीने के पानी का TDS कितना होना चाहिए?

यह सबसे अहम सवाल है। आइए जानते हैं कि मानक संस्थाएं क्या कहती हैं:

विशेषज्ञों का निष्कर्ष: इन मानकों को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञ आमतौर पर यह सलाह देते हैं कि RO से शुद्ध किए गए पानी का TDS 100 PPM से 300 PPM के बीच होना चाहिए। यह स्तर सुनिश्चित करता है कि पानी हानिकारक अशुद्धियों से मुक्त है, लेकिन उसमें शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स की कुछ मात्रा भी मौजूद है।

भारत में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी उन क्षेत्रों में RO के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है जहां पानी का TDS पहले से ही 500 PPM से कम है, क्योंकि इससे पानी की बर्बादी होती है और पानी डी-मिनरलाइज्ड हो जाता है।

कैसे जांचें और कंट्रोल करें अपने RO का TDS?

यह प्रक्रिया बहुत आसान है और आप इसे घर पर खुद कर सकते हैं।

1. TDS की जांच कैसे करें:

2. TDS को कंट्रोल कैसे करें: यदि आपके पानी का TDS 100 से बहुत कम (जैसे 25-50) आता है, तो आपको इसे ठीक करने की आवश्यकता है।

यदि आपके पुराने RO में यह सुविधा नहीं है, तो आप सर्विस टेक्नीशियन से कहकर इसे अलग से लगवा सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

मेरे RO पानी का TDS 40 PPM है। क्या यह खराब है?

हाँ, 40 PPM का TDS बहुत कम माना जाता है। इसका मतलब है कि आपके पानी में आवश्यक खनिजों की लगभग न के बराबर मात्रा है। आपको एक TDS कंट्रोलर लगवाकर इसे कम से कम 100-150 PPM तक लाना चाहिए।

मेरे नल के पानी का TDS 250 PPM है। क्या मुझे RO की जरूरत है?

विशेषज्ञों और NGT के दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि आपके पानी का TDS 500 PPM से कम है, तो आपको RO की आवश्यकता नहीं है। बैक्टीरिया और वायरस को मारने के लिए एक UV या UV+UF प्यूरीफायर एक बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है, क्योंकि यह खनिजों को नहीं हटाता है।

मुझे अपने RO का TDS कितनी बार जांचना चाहिए?

एक अच्छी आदत के तौर पर, हर 3-4 महीने में TDS की जांच करें। खासकर, RO की सर्विस या फिल्टर बदलने के बाद TDS की जांच करना बहुत ज़रूरी है।

निष्कर्ष

RO प्यूरीफायर हमारे घरों में साफ पानी सुनिश्चित करने के लिए एक बेहतरीन तकनीक है, लेकिन इसका समझदारी से उपयोग करना महत्वपूर्ण है। ‘शुद्ध पानी’ का मतलब ‘जीरो TDS पानी’ नहीं होता है। पानी का TDS कितना होना चाहिए, (Pani ka TDS Kitna hona chahiye) यह जानना और यह सुनिश्चित करना कि यह 100 से 300 PPM की स्वस्थ सीमा में हो, आपके परिवार के स्वास्थ्य के लिए एक छोटा लेकिन शक्तिशाली कदम है।

एक जागरूक उपभोक्ता बनें। एक साधारण से TDS मीटर में निवेश करें, अपने पानी की गुणवत्ता को समझें, और सुनिश्चित करें कि आपका RO प्यूरीफायर आपको न केवल शुद्ध, बल्कि सेहतमंद, खनिज युक्त पानी भी दे रहा है। क्योंकि सच्चा स्वास्थ्य संतुलन में ही निहित है।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्यों के लिए है और यह पेशेवर चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पानी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के लिए हमेशा किसी योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ या जल गुणवत्ता विशेषज्ञ (water quality expert) से सलाह लें।

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