किस दाल को कितने समय तक भिगोना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें सही तरीका और पाएं पेट फूलने से छुटकारा

भारतीय रसोई में दाल के बिना भोजन की कल्पना करना भी मुश्किल है। यह हमारे आहार का एक अभिन्न अंग है, जो प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक पोषक तत्वों का एक बेहतरीन स्रोत है। लेकिन कई लोगों की यह आम शिकायत होती है कि दाल, विशेषकर राजमा, छोले या उड़द जैसी भारी दालें खाने के बाद उन्हें पेट फूलने (bloating), गैस और अपच की समस्या हो जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? इसका एक बड़ा कारण दाल को पकाने का गलत तरीका हो सकता है।

इस लेख के लिए अपने शोध में, मैंने पाया कि दाल को पकाने से पहले भिगोना केवल एक पारंपरिक नुस्खा नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरा विज्ञान है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, किस दाल को कितने समय तक भिगोना चाहिए, यह जानना आपके पाचन स्वास्थ्य के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। सही समय तक भिगोने से न केवल दाल जल्दी पकती है, बल्कि यह अधिक सुपाच्य और पौष्टिक भी हो जाती है। आइए, इस विषय को गहराई से समझते हैं।

दाल भिगोना क्यों है इतना ज़रूरी?

दाल और फलियों को भिगोने की प्रक्रिया को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह पाचन और पोषण के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके मुख्य वैज्ञानिक कारण हैं:

किस दाल को कितने समय तक भिगोना चाहिए

हर दाल की बनावट और घनत्व अलग होता है, इसलिए उन्हें भिगोने का समय भी अलग-अलग होता है। एक आम सवाल जो पाठक अक्सर पूछते हैं, वह है कि किस दाल के लिए कितना समय पर्याप्त है। नीचे एक विस्तृत गाइड दी गई है:

1. भारी और साबुत फलियां (8 से 12 घंटे या रात भर)

ये सबसे सघन होती हैं और इन्हें नरम होने में सबसे अधिक समय लगता है।

प्रो टिप: इन फलियों को भिगोते समय बीच में एक बार पानी बदल देने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।

2. छिलके वाली दालें (6 से 8 घंटे)

ये साबुत फलियों की तुलना में थोड़ी हल्की होती हैं लेकिन फिर भी इन्हें पचने योग्य बनाने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है।

3. बिना छिलके वाली (धुली) दालें (30 मिनट से 2 घंटे)

ये दालें सबसे जल्दी नरम होती हैं और इन्हें बहुत लंबे समय तक भिगोने की आवश्यकता नहीं होती है।

“दाल भिगोना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो हमारे पाचन तंत्र की मदद करती है। जब आप दाल को भिगोते हैं, तो आप असल में उसे ‘प्री-डाइजेस्ट’ (pre-digest) कर रहे होते हैं, जिससे शरीर के लिए उसके पोषक तत्वों को ग्रहण करना बहुत आसान हो जाता है। यह एक छोटा सा कदम आपके पेट के स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव ला सकता है।” – डॉ. प्रिया शर्मा, रजिस्टर्ड डायटीशियन (M.Sc. Food & Nutrition)]

दाल पचाने के उपाय

सिर्फ भिगोना ही काफी नहीं है। दाल को और भी सुपाच्य बनाने के लिए आप कुछ और कदम उठा सकते हैं:

  1. भिगोया हुआ पानी फेंक दें: जिस पानी में दाल भिगोई गई हो, उसे हमेशा फेंक दें। क्योंकि इसी पानी में फाइटिक एसिड और गैस बनाने वाले कम्पाउंड घुल जाते हैं। पकाने के लिए हमेशा ताजे पानी का उपयोग करें।
  2. उबालकर झाग हटाएं: दाल को पकाते समय ऊपर जो झाग आता है, उसे कलछी से निकाल दें। माना जाता है कि इस झाग में भी कुछ अपचनीय तत्व होते हैं।
  3. हींग और अदरक का प्रयोग करें: पकाने के दौरान एक चुटकी हींग (Asafoetida) और थोड़ी सी कद्दूकस की हुई अदरक डालने से पाचन में बहुत मदद मिलती है। ये दोनों ही अपने पाचक गुणों के लिए जाने जाते हैं।
  4. अच्छी तरह पकाएं: दाल को हमेशा अच्छी तरह से नरम होने तक पकाएं। अधपकी दाल पेट के लिए भारी हो सकती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न/उत्तर

अगर मैं दाल भिगोना भूल जाऊं तो क्या करूं?

अगर आपके पास समय कम है, तो आप “क्विक सोक” विधि अपना सकते हैं। दाल को पानी में डालकर 5-10 मिनट तक उबालें, फिर गैस बंद करके उसे एक घंटे के लिए ढककर रख दें। यह लंबे समय तक भिगोने जितना प्रभावी नहीं है, लेकिन इससे काफी मदद मिलती है।

कौन सी दाल पेट के लिए सबसे हल्की होती है?

मूंग की धुली दाल (पीली वाली) को पचाने में सबसे आसान माना जाता है। यही कारण है कि बीमारी या पाचन संबंधी समस्याओं के दौरान डॉक्टर और विशेषज्ञ अक्सर खिचड़ी (जो मूंग दाल से बनती है) खाने की सलाह देते हैं।

क्या दाल के पानी को पौधों में डाल सकते हैं?

हाँ, दाल का भिगोया हुआ पानी फेंकने के बजाय आप इसे अपने पौधों में डाल सकते हैं। इसमें घुले हुए कुछ खनिज पौधों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।

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