मीठी छाछ से ज्यादा फायदेमंद है नमकीन या सादा? ज़्यादा ठंडी पी तो पाचन का बैलेंस बिगड़ सकता है! इस लेख में जानिए गर्मियों में छाछ पीने का सही तरीका, सही मसाले और उन गलतियों से बचाव जो सेहत पर भारी पड़ सकती हैं। सही छाछ चुने और गर्मियों को बनाएं हेल्दी!
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गर्मियों में छाछ का सेवन न केवल शरीर को ठंडक देता है, बल्कि यह पाचन के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। छाछ-Buttermilk में मौजूद प्रोबायोटिक्स, इलेक्ट्रोलाइट्स और लैक्टिक एसिड गर्मी में शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मदद करते हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर गर्मियों में मीठी छाछ पीनी चाहिए या नमकीन छाछ? क्योंकि यदि सही विकल्प नहीं चुना गया, तो सेहत को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।
मीठी छाछ का स्वाद ज़्यादातर लोगों को भाता है, लेकिन इसमें मिलाई जाने वाली चीनी इसके फायदों पर असर डाल सकती है। चीनी एक रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट है, जो न केवल वजन बढ़ाने का कारण बनती है, बल्कि ब्लड शुगर को भी तेजी से बढ़ा सकती है। खासतौर पर डायबिटीज से ग्रसित लोगों के लिए मीठी छाछ नुकसानदायक साबित हो सकती है। ऐसे में मीठी छाछ का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए और कोशिश करें कि इसमें बहुत अधिक चीनी न मिलाएं।
वहीं दूसरी ओर, नमकीन छाछ को आयुर्वेद में खास महत्व दिया गया है। इसमें आमतौर पर काला नमक, भुना हुआ जीरा और पुदीना मिलाया जाता है, जो छाछ के पाचन गुणों को और अधिक प्रभावी बना देते हैं। काला नमक पाचन क्रिया को सुचारु करता है, जबकि भुना जीरा गैस और अपच की समस्याओं से राहत दिलाता है। पुदीना शरीर को शीतलता प्रदान करता है और स्वाद भी बढ़ाता है। इसलिए नमकीन छाछ को पाचन के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि नमकीन छाछ में अगर ज्यादा मात्रा में नमक मिलाया जाए, तो यह शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बिगाड़ सकता है और छाछ में मौजूद नेचुरल प्रोबायोटिक्स को प्रभावित कर सकता है। इसलिए इसमें भी संयम जरूरी है।
अगर आपको उलझन हो रही है कि मीठी लें या नमकीन, तो सादा छाछ-बिना मीठा या नमक मिलाए पीना सबसे बेहतरीन विकल्प है। यह न केवल पूरी तरह नेचुरल होती है, बल्कि इससे प्रोबायोटिक बैक्टीरिया का प्रभाव भी ज़्यादा होता है। सादा छाछ गर्मियों में शरीर को ठंडक देती है, हाइड्रेशन बनाए रखती है और लू से बचाव में मदद करती है।
कई लोग छाछ को फ्रिज से निकालकर या बर्फ डालकर पीते हैं, जो गलती होती है। बहुत ठंडी छाछ पीने से पाचन तंत्र पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और गैस, सूजन, यहां तक कि एसिडिटी की समस्या हो सकती है। छाछ हमेशा सामान्य तापमान पर ही पीनी चाहिए।
छाछ में जब तक संतुलित मात्रा में मसाले मिलाए जाएं, तब तक यह अमृत समान होती है। लेकिन अगर आप इसे मीठे के नाम पर शुगर ड्रिंक बना दें या नमकीन के नाम पर सोडियम से भर दें, तो यही छाछ आपके पाचन को बिगाड़ सकती है। इसलिए स्वाद और सेहत दोनों का ध्यान रखते हुए छाछ का सही प्रकार चुनना बेहद जरूरी है।
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