माता-पिता की आम चिंता: बोतल की बदबू, यहाँ जाने बेबी बोतल को साफ़ करने का तरीका

बच्चे की बॉटल से बदबू? ऐसे करें डीप क्लीन!

एक नए माता-पिता के रूप में, आप अपने बच्चे के लिए सब कुछ सबसे अच्छा चाहते हैं – उसका आराम, उसका स्वास्थ्य और उसकी सुरक्षा। आप दिन में कई बार उसकी दूध की बोतल को गर्म पानी और साबुन से रगड़-रगड़ कर धोते हैं, लेकिन फिर भी कुछ घंटों बाद उसमें से एक अजीब सी खट्टी और चिपचिपी गंध आने लगती है। यह अनुभव लगभग हर उस माता-पिता का है जो अपने शिशु को बोतल से दूध पिलाते हैं। आप सोचने लगते हैं, “क्या मैं कुछ गलत कर रहा/रही हूँ? क्या यह गंध मेरे बच्चे के लिए हानिकारक है?” अगर यह सवाल आपके मन में भी आता है, तो आप अकेले नहीं हैं। अच्छी खबर यह है कि यह एक आम समस्या है और इसका समाधान सिर्फ गर्म पानी में बोतल को डुबो देने से कहीं आगे है।

आखिर दूध की बोतल से बदबू क्यों आती है?

गंध के पीछे का विज्ञान: बैक्टीरिया और दूध के अवशेष

इससे पहले कि हम समाधान पर जाएं, यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह समस्या होती क्यों है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, दूध, चाहे वह ब्रेस्ट मिल्क हो या फॉर्मूला, में प्रोटीन और फैट होते हैं। जब दूध की थोड़ी सी भी मात्रा बोतल की सतह पर, खासकर प्लास्टिक की बोतलों के छिद्रों में या निप्पल के किनारों पर रह जाती है, तो बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। ये बैक्टीरिया ही दूध के अवशेषों को तोड़ते हैं, जिससे वह खट्टी और अप्रिय गंध पैदा होती है।

प्लास्टिक की बोतलों की समस्या

प्लास्टिक की बोतलें कांच की बोतलों की तुलना में गंध को अधिक सोखती हैं। सिर्फ गर्म पानी से धोना इन सूक्ष्म दूध कणों और बैक्टीरिया को पूरी तरह से हटाने के लिए काफी नहीं होता है। इसीलिए, एक गहरी सफाई यानी डीप क्लीनिंग की जरूरत पड़ती है।

क्यों सिर्फ गर्म पानी और साबुन काफी नहीं है?

साधारण सफाई की सीमाएं

आप सोच सकते हैं कि गर्म पानी और साबुन तो सब कुछ साफ कर देता है। हालांकि यह नियमित सफाई के लिए ठीक है, लेकिन दूध की बोतल के मामले में यह अधूरा है। इसके कुछ कारण हैं:

चिपचिपी ‘मिल्क फिल्म’ की परत

दूध में मौजूद फैट बोतल की दीवारों पर एक पतली, अदृश्य परत बना देता है, जिसे ‘मिल्क फिल्म’ कहते हैं। साधारण साबुन इस चिकनी परत को पूरी तरह से नहीं तोड़ पाता।

कोनों में छिपे कीटाणु

बोतल के थ्रेड्स (चूड़ियां), निप्पल का छेद और किनारों जैसे हिस्सों में ब्रश आसानी से नहीं पहुंच पाता, और यहीं बैक्टीरिया सबसे ज्यादा पनपते हैं।

तुरंत सफाई न करने का नतीजा

अगर बोतल को इस्तेमाल के तुरंत बाद साफ न किया जाए, तो बैक्टीरिया तेजी से बढ़ने लगते हैं, जिससे गंध और भी गहरी हो जाती है।

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बच्चों की दूध की बोतल की सफाई का असरदार तरीका (Step-by-Step Guide)

यह शिशु की बोतल साफ करने का तरीका आपके बच्चे को हानिकारक कीटाणुओं से बचाने में मदद करेगा।

कदम 1: इस्तेमाल के तुरंत बाद खंगालें

जैसे ही आपका बच्चा दूध पीना खत्म करे, बची हुई दूध को फेंक दें और बोतल के सभी हिस्सों (बोतल, निप्पल, कैप, रिंग) को अलग कर लें। उन्हें तुरंत बहते ठंडे पानी के नीचे अच्छे से खंगालें। गर्म पानी का इस्तेमाल करने से बचें क्योंकि यह दूध के प्रोटीन को बोतल की सतह पर “पका” सकता है, जिससे उसे निकालना और भी मुश्किल हो जाता है।

कदम 2: गर्म पानी और साबुन से धोएं

अब एक साफ बर्तन या बेसिन लें, जिसे सिर्फ बच्चे के बर्तन धोने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता हो। सीधे किचन सिंक में बोतलें न धोएं, क्योंकि सिंक में अन्य कीटाणु हो सकते हैं। बेसिन में गर्म पानी और बेबी-सेफ लिक्विड सोप की कुछ बूंदें डालें। एक डेडिकेटेड बोतल ब्रश और निप्पल ब्रश का उपयोग करके सभी हिस्सों को अच्छी तरह से रगड़ें। ब्रश की मदद से कोनों और चूड़ियों को साफ करना न भूलें। निप्पल के छेद से भी साबुन वाला पानी निकालकर उसे साफ करें।

गंध को जड़ से खत्म करने के लिए अपनाएं ये डीप क्लीनिंग नुस्खे

अगर नियमित सफाई के बाद भी दूध की बोतल से बदबू आ रही है, तो हफ्ते में एक या दो बार इन डीप-क्लीनिंग तरीकों का इस्तेमाल करें:

1. बेकिंग सोडा का प्रयोग

बेकिंग सोडा एक प्राकृतिक क्लीनर और गंधनाशक है। बोतल को सामान्य रूप से धो लें। अब बोतल में एक चम्मच बेकिंग सोडा और गर्म पानी डालकर भर दें। इसे अच्छी तरह हिलाएं और 4-5 घंटे या रात भर के लिए छोड़ दें। सुबह बोतल को ब्रश से फिर से साफ करें और अच्छी तरह से खंगाल लें। बेकिंग सोडा दूध की परत और गंध दोनों को खत्म कर देगा।

2. सिरका (Vinegar) का जादू

सफेद सिरका अपनी एसिडिक प्रकृति के कारण बैक्टीरिया को मारने और गंध को बेअसर करने में बहुत प्रभावी है। एक बर्तन में बराबर मात्रा में सफेद सिरका और पानी मिलाएं। बोतल के सभी हिस्सों को इस घोल में डुबो दें और कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। इसके बाद, उन्हें साबुन और पानी से अच्छी तरह धो लें ताकि सिरके की गंध निकल जाए।

आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण कदम: स्टरलाइजेशन (Sterilization)

सफाई के बाद स्टरलाइजेशन क्यों है जरूरी

सफाई बैक्टीरिया को हटाती है, लेकिन स्टरलाइजेशन उन्हें मारता है। CDC के अनुसार, 3 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए दिन में कम से कम एक बार फीडिंग आइटम्स को स्टरलाइज करना बेहद जरूरी है। बेबी बोतल स्टरलाइज कैसे करें, इसके कुछ आसान तरीके यहां दिए गए हैं:

स्टरलाइजेशन के बाद सही तरीके से सुखाएं

स्टरलाइज करने के बाद, बोतलों को एक साफ, सूखे कपड़े या पेपर टॉवल पर हवा में सूखने के लिए रख दें। उन्हें पोंछने के लिए कपड़े के तौलिये का उपयोग न करें, क्योंकि इससे कीटाणु दोबारा बोतल पर आ सकते हैं।

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कब बदलें बोतल और निप्पल?

बोतल और निप्पल बदलने की जरूरत

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न/उत्तर

क्या हर बार दूध पिलाने के बाद बोतल को स्टरलाइज करना जरूरी है

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आपका बच्चा 3 महीने से छोटा है, समय से पहले पैदा हुआ है, या उसकी इम्यूनिटी कमजोर है, तो दिन में कम से कम एक बार स्टरलाइज करना अनिवार्य है। बड़े और स्वस्थ बच्चों के लिए, हर कुछ दिनों में एक बार स्टरलाइजेशन पर्याप्त हो सकता है, बशर्ते आप हर उपयोग के बाद बोतल को अच्छी तरह साफ करें।

क्या डिशवॉशर में बेबी बोतल धोना सुरक्षित है?

हां, अगर बोतल के हिस्से ‘डिशवॉशर-सेफ’ हैं। CDC के अनुसार, आप गर्म पानी के साइकिल और हीटेड ड्राइंग साइकिल (या सैनिटाइजिंग सेटिंग) का उपयोग कर सकते हैं। छोटे हिस्सों को एक बंद टोकरी में रखें ताकि वे खो न जाएं।

कांच की बोतलें बेहतर हैं या प्लास्टिक की?

कांच की बोतलें गंध और दाग को नहीं सोखतीं और अधिक समय तक चलती हैं। हालांकि, वे भारी होती हैं और टूटने का खतरा होता है। प्लास्टिक की बोतलें हल्की और अटूट होती हैं, लेकिन उनमें समय के साथ गंध और धुंधलापन आ सकता है। दोनों ही सुरक्षित विकल्प हैं, बशर्ते उनकी सफाई ठीक से की जाए।

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